Tuesday, December 12, 2017

श्रीमद्भागवतमाहात्म्य छठा अध्याय (पोस्ट.०२)


|| ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ||

श्रीमद्भागवतमाहात्म्य
छठा अध्याय (पोस्ट.०२)

सप्ताहयज्ञ की विधि

देशे देशे विरक्ता ये वैष्णवाः कीर्तनोत्सुकाः ।
तेष्वेव पत्रं प्रेष्यं च तल्लेखनं इतीरितम् ॥ ७ ॥
सतां समाजो भविता सप्तरात्रं सुदुर्लभः ।
अपूर्वरसरूपैव कथा चात्र भविष्यति ॥ ८ ॥
श्रीमद्‌भागवत पीयुष पानाय रसलम्पटाः ।
भवन्तश्च तथा शीघ्रं आयात प्रेमतत्पराः ॥ ९ ॥
नावकाशः कदाचित् चेत् दिनमात्रं तथापि तु ।
सर्वथाऽऽगमनं कार्यं क्षणोऽत्रैव सुदुर्लभः ॥ १० ॥
एवमाकारणं तेषां कर्तव्यं विनयेन च ।
आगन्तुकानां सर्वेषां वासस्थानानि कल्पयेत् ॥११ ॥

देश-देशमें जो विरक्त वैष्णव और हरिकीर्तनके प्रेमी हों, उनके पास निमन्त्रणपत्र अवश्य भेजे। उसे लिखनेकी विधि इस प्रकार बतायी गयी है ॥ ७ ॥ महानुभावो ! यहाँ सात दिनतक सत्पुरुषोंका बड़ा दुर्लभ समागम रहेगा और अपूर्व रसमयी श्रीमद्भागवतकी कथा होगी ॥ ८ ॥ आपलोग भगवद्रसके रसिक हैं, अत: श्रीभागवतामृतका पान करनेके लिये प्रेमपूर्वक शीघ्र ही पधारनेकी कृपा करें ॥ ९ ॥ यदि आपको विशेष अवकाश न हो, तो भी एक दिनके लिये तो अवश्य ही कृपा करनी चाहिये; क्योंकि यहाँका तो एक क्षण भी अत्यन्त दुर्लभ है।॥ १० ॥ इस प्रकार विनयपूर्वक उन्हें निमंत्रित करे और जो लोग आयें, उनके लिये यथोचित निवासस्थानका प्रबन्ध करे ॥ ११ ॥

हरिः ॐ तत्सत्

शेष आगामी पोस्ट में --

गीताप्रेस,गोरखपुर द्वारा प्रकाशित श्रीमद्भागवतमहापुराण (विशिष्टसंस्करण) पुस्तककोड 1535 से


No comments:

Post a Comment

श्रीमद्भागवतमहापुराण द्वितीय स्कन्ध-सातवां अध्याय..(पोस्ट०९)

॥ ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ॥ श्रीमद्भागवतमहापुराण  द्वितीय स्कन्ध- सातवाँ अध्याय..(पोस्ट०९) भगवान्‌ के लीलावतारों की कथा भूमेः सुरेतरवरूथविमर्द...