॥ ॐ नमो भगवते
वासुदेवाय ॥
श्रीमद्भागवतमहापुराण
द्वितीय
स्कन्ध- आठवाँ
अध्याय..(पोस्ट०४)
राजा
परीक्षित् के विविध प्रश्र
युगानि
युगमानश्च धर्मो यश्च युगे युगे ।
अवतारानुचरितं
यदाश्चर्यतमं हरेः ॥ १७ ॥
नृणां
साधारणो धर्मः सविशेषश्च यादृशः ।
श्रेणीनां
राजर्षीणाञ्च धर्मः कृच्छ्रेषु जीवताम् ॥ १८ ॥
तत्त्वानां
परिसङ्ख्यानं लक्षणं हेतुलक्षणम् ।
पुरुषाराधनविधिः
योगस्याध्यात्मिकस्य च ॥ १९ ॥
योगेश्वरैश्वर्यगतिः
लिङ्गभङ्गस्तु योगिनाम् ।
वेदोपवेदधर्माणां
इतिहासपुराणयोः ॥ २० ॥
सम्प्लवः
सर्वभूतानां विक्रमः प्रतिसङ्क्रमः ।
इष्टापूर्तस्य
काम्यानां त्रिवर्गस्य च यो विधिः ॥ २१ ॥
यश्चानुशायिनां
सर्गः पाषण्डस्य च सम्भवः ।
आत्मनो
बन्धमोक्षौ च व्यवस्थानं स्वरूपतः ॥ २२ ॥
युगोंके
भेद,
उनके परिमाण और उनके अलग-अलग धर्म तथा भगवान्के विभिन्न अवतारोंके
परम आश्चर्यमय चरित्र भी बतलाइये ॥ १७ ॥ मनुष्योंके साधारण और विशेष धर्म
कौन-कौन-से हैं ? विभिन्न व्यवसायवाले लोगोंके, राजर्षियोंके और विपत्तिमें पड़े हुए लोगोंके धर्मका भी उपदेश कीजिये ॥ १८
॥ तत्त्वोंकी संख्या कितनी है, उनके स्वरूप और लक्षण क्या
हैं ? भगवान्की आराधनाकी और अध्यात्मयोगकी विधि क्या है ?
॥ १९ ॥ योगेश्वरोंको क्या-क्या ऐश्वर्य प्राप्त होते हैं, तथा अन्तमें उन्हें कौन-सी गति मिलती है ? योगियोंका
लिङ्गशरीर किस प्रकार भङ्ग होता है ? वेद, उपवेद, धर्मशास्त्र, इतिहास और
पुराणोंका स्वरूप एवं तात्पर्य क्या है ? ॥ २० ॥ समस्त
प्राणियोंकी उत्पत्ति, स्थिति और प्रलय कैसे होता है ?
बावली, कुआँ खुदवाना आदि स्मार्त, यज्ञ-यागादि वैदिक, एवं काम्य कर्मोंकी तथा
अर्थ-धर्म- कामके साधनोंकी विधि क्या है ? ॥ २१ ॥ प्रलयके
समय जो जीव प्रकृतिमें लीन रहते हैं, उनकी उत्पत्ति कैसे
होती है ? पाखण्डकी उत्पत्ति कैसे होती है ? आत्माके बन्ध-मोक्षका स्वरूप क्या है ? और वह अपने
स्वरूपमें किस प्रकार स्थित होता है ? ॥ २२ ॥
शेष
आगामी पोस्ट में --
गीताप्रेस,गोरखपुर द्वारा प्रकाशित श्रीमद्भागवतमहापुराण (विशिष्टसंस्करण) पुस्तककोड 1535 से
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