Monday, January 8, 2018

श्रीमद्भागवतमहापुराण प्रथम स्कन्ध--सातवाँ अध्याय..(पोस्ट ०६)

॥ ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ॥

श्रीमद्भागवतमहापुराण
प्रथम स्कन्ध--सातवाँ अध्याय..(पोस्ट ०६)

अश्वत्थामाद्वारा द्रौपदी के पुत्रोंका मारा जाना और
अर्जुनके द्वारा अश्वत्थामाका मानमर्दन

सूत उवाच -

श्रुत्वा भगवता प्रोक्तं फाल्गुनः परवीरहा ।
स्पृष्ट्वापस्तं परिक्रम्य ब्राह्मं ब्राह्माय संदधे ॥ २९ ॥
संहत्य अन्योन्यं उभयोः तेजसी शरसंवृते ।
आवृत्य रोदसी खं च ववृधातेऽर्कवह्निवत् ॥ ३० ॥
दृष्ट्वास्त्रतेजस्तु तयोः त्रिँल्लोकान् प्रदहन्महत् ।
दह्यमानाः प्रजाः सर्वाः सांवर्तकममंसत ॥ ३१ ॥
प्रजोपप्लवमालक्ष्य लोकव्यतिकरं च तम् ।
मतं च वासुदेवस्य संजहारार्जुनो द्वयम् ॥ ३२ ॥
तत आसाद्य तरसा दारुणं गौतमीसुतम् ।
बबंधामर्षताम्राक्षः पशुं रशनया यथा ॥ ३३ ॥
शिबिराय निनीषन्तं रज्ज्वा बद्ध्वा रिपुं बलात् ।
प्राहार्जुनं प्रकुपितो भगवान् अंबुजेक्षणः ॥ ३४ ॥
मैनं पार्थार्हसि त्रातुं ब्रह्मबंधुमिमं जहि ।
यो असौ अनागसः सुप्तान् अवधीन्निशि बालकान् ॥ ३५ ॥

सूतजी कहते हैंअर्जुन विपक्षी वीरोंको मारनेमें बड़े प्रवीण थे। भगवान्‌की बात सुनकर उन्होंने आचमन किया और भगवान्‌की परिक्रमा करके ब्रह्मास्त्रके निवारण के लिये ब्रह्मास्त्रका ही सन्धान किया ॥ २९ ॥ बाणोंसे वेष्टित उन दोनों ब्रह्मास्त्रोंके तेज प्रलयकालीन सूर्य एवं अग्रिके समान आपसमें टकराकर सारे आकाश और दिशाओंमें फैल गये और बढऩे लगे ॥ ३० ॥ तीनों लोकोंको जलानेवाली उन दोनों अस्त्रोंकी बढ़ी हुई लपटोंसे प्रजा जलने लगी और उसे देखकर सबने यही समझा कि यह प्रलयकालकी सांवर्तक अग्नि है ॥ ३१ ॥ उस आगसे प्रजाका और लोकोंका नाश होते देखकर भगवान्‌की अनुमतिसे अर्जुनने उन दोनोंको ही लौटा लिया ॥ ३२ ॥ अर्जुनकी आँखें क्रोधसे लाल-लाल हो रही थीं। उन्होंने झपटकर उस क्रूर अश्वत्थामाको पकड़ लिया और जैसे कोई रस्सीसे पशुको बाँध ले, वैसे ही बाँध लिया ॥ ३३ ॥ अश्वत्थामाको बलपूर्वक बाँधकर अर्जुनने जब शिविरकी ओर ले जाना चाहा, तब उनसे कमलनयन भगवान्‌ श्रीकृष्णने कुपित होकर कहा॥ ३४ ॥ अर्जुन ! इस ब्राह्मणाधमको छोडऩा ठीक नहीं है, इसको तो मार ही डालो। इसने रात, में सोये हुए निरपराध बालकोंकी हत्या की है ॥ ३५ ॥

शेष आगामी पोस्ट में --

गीताप्रेस,गोरखपुर द्वारा प्रकाशित श्रीमद्भागवतमहापुराण  (विशिष्ट संस्करण)  पुस्तक कोड 1535 से 


No comments:

Post a Comment

श्रीमद्भागवतमहापुराण द्वितीय स्कन्ध-सातवां अध्याय..(पोस्ट०९)

॥ ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ॥ श्रीमद्भागवतमहापुराण  द्वितीय स्कन्ध- सातवाँ अध्याय..(पोस्ट०९) भगवान्‌ के लीलावतारों की कथा भूमेः सुरेतरवरूथविमर्द...