Tuesday, August 28, 2018

श्रीमद्भागवतमहापुराण तृतीय स्कन्ध - ग्यारहवाँ अध्याय..(पोस्ट०९)


॥ ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ॥

श्रीमद्भागवतमहापुराण
तृतीय स्कन्ध - ग्यारहवाँ अध्याय..(पोस्ट०९)

मन्वन्तरादि कालविभाग का वर्णन

यदर्धमायुषस्तस्य परार्धमभिधीयते ।
पूर्वः परार्धोऽपक्रान्तो ह्यपरोऽद्य प्रवर्तते ॥ ३३ ॥
पूर्वस्यादौ परार्धस्य ब्राह्मो नाम महानभूत् ।
कल्पो यत्राभवद्‍ब्रह्मा शब्दब्रह्मेति यं विदुः ॥ ३४ ॥
तस्यैव चान्ते कल्पोऽभूद् यं पाद्ममभिचक्षते ।
यद्धरेर्नाभिसरस आसीत् लोकसरोरुहम् ॥ ३५ ॥

ब्रह्माजीकी आयु के आधे भाग को परार्ध कहते हैं। अबतक पहला परार्ध तो बीत चुका है, दूसरा चल रहा है ॥ ३३ ॥ पूर्व परार्ध के आरम्भ में ब्राह्म नामक महान् कल्प हुआ था। उसी में ब्रह्माजी की उत्पत्ति हुई थी। पण्डितजन इन्हें शब्दब्रह्म कहते हैं ॥ ३४ ॥ उसी परार्धके अन्तमें जो कल्प हुआ था, उसे पाद्मकल्प कहते हैं। इसमें भगवान्‌ के नाभिसरोवरसे सर्वलोकमय कमल प्रकट हुआ था ॥ ३५ ॥

शेष आगामी पोस्ट में --
गीताप्रेस,गोरखपुर द्वारा प्रकाशित श्रीमद्भागवतमहापुराण  (विशिष्टसंस्करण)  पुस्तककोड 1535 से



No comments:

Post a Comment

श्रीमद्भागवतमहापुराण द्वितीय स्कन्ध-सातवां अध्याय..(पोस्ट०९)

॥ ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ॥ श्रीमद्भागवतमहापुराण  द्वितीय स्कन्ध- सातवाँ अध्याय..(पोस्ट०९) भगवान्‌ के लीलावतारों की कथा भूमेः सुरेतरवरूथविमर्द...