Sunday, May 20, 2018

श्रीमद्भागवतमहापुराण तृतीय स्कन्ध -पहला अध्याय..(पोस्ट०९)



॥ ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ॥

श्रीमद्भागवतमहापुराण
तृतीय स्कन्ध -पहला अध्याय..(पोस्ट०९)

उद्धव और विदुर की भेंट

कच्चिद् हरेः सौम्य सुतः सदृक्ष
    आस्तेऽग्रणी रथिनां साधु साम्बः ।
असूत यं जाम्बवती व्रताढ्या
    देवं गुहं योऽम्बिकया धृतोऽग्रे ॥ ३० ॥
क्षेमं स कच्चिद् युयुधान आस्ते
    यः फाल्गुनात् लब्धधनूरहस्यः ।
लेभेऽञ्जसाधोक्षजसेवयैव
    गतिं तदीयां यतिभिर्दुरापाम् ॥ ३१ ॥
कच्चिद् बुधः स्वस्त्यनमीव
    आस्ते श्वफल्कपुत्रो भगवत्प्रपन्नः ।
यः कृष्णपादाङ्‌कितमार्गपांसु-
    ष्वचेष्टत प्रेमविभिन्नधैर्यः ॥ ३२ ॥

(विदुरजी उद्धवजी से पूछ रहे हैं) सौम्य ! अपने पिता श्रीकृष्ण के समान समस्त रथियों में अग्रगण्य श्रीकृष्णतनय साम्ब सकुशल तो हैं ? ये पहले पार्वती जी के द्वारा गर्भमें धारण किये हुए स्वामिकार्तिक हैं । अनेकों व्रत करके जाम्बवती ने इन्हें जन्म दिया था ॥ ३० ॥ जिन्होंने अर्जुन से रहस्ययुक्त धनुर्विद्या की शिक्षा पायी है, वे सात्यकि तो कुशलपूर्वक हैं ? वे भगवान्‌ श्रीकृष्ण की सेवा से अनायास ही भगवज्जनों की उस महान् स्थिति पर पहुँच गये हैं, जो बड़े-बड़े योगियों को भी दुर्लभ है ॥ ३१ ॥ भगवान्‌के शरणागत निर्मल भक्त बुद्धिमान् अक्रूरजी भी प्रसन्न हैं न, जो श्रीकृष्णके चरण-चिह्नोंसे अङ्कित व्रजके मार्गकी रजमें प्रेमसे अधीर होकर लोटने लगे थे ? ॥ ३२ ॥

शेष आगामी पोस्ट में --
गीताप्रेस,गोरखपुर द्वारा प्रकाशित श्रीमद्भागवतमहापुराण  (विशिष्टसंस्करण)  पुस्तककोड 1535 से



No comments:

Post a Comment

श्रीमद्भागवतमहापुराण द्वितीय स्कन्ध-सातवां अध्याय..(पोस्ट०९)

॥ ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ॥ श्रीमद्भागवतमहापुराण  द्वितीय स्कन्ध- सातवाँ अध्याय..(पोस्ट०९) भगवान्‌ के लीलावतारों की कथा भूमेः सुरेतरवरूथविमर्द...