॥ ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ॥
श्रीमद्भागवतमहापुराण
प्रथम
स्कन्ध--नवाँ अध्याय..(पोस्ट १२)
युधिष्ठिरादिका
भीष्मजीके पास जाना और भगवान् श्रीकृष्णकी स्तुति
करते
हुए भीष्मजीका प्राणत्याग करना
सूत
उवाच ।
कृष्ण
एवं भगवति मनोवाक् दृष्टिवृत्तिभिः ।
आत्मनि
आत्मानमावेश्य सोऽन्तःश्वास उपारमत् ॥ ४३ ॥
सम्पद्यमानमाज्ञाय
भीष्मं ब्रह्मणि निष्कले ।
सर्वे
बभूवुस्ते तूष्णीं वयांसीव दिनात्यये ॥ ४४ ॥
तत्र
दुन्दुभयो नेदुः देवमानव वादिताः ।
शशंसुः
साधवो राज्ञां खात्पेतुः पुष्पवृष्टयः ॥ ४५ ॥
तस्य
निर्हरणादीनि सम्परेतस्य भार्गव ।
युधिष्ठिरः
कारयित्वा मुहूर्तं दुःखितोऽभवत् ॥ ४६ ॥
तुष्टुवुर्मुनयो
हृष्टाः कृष्णं तत् गुह्यनामभिः ।
ततस्ते
कृष्णहृदयाः स्वाश्रमान्प्रययुः पुनः ॥ ४७ ॥
ततो
युधिष्ठिरो गत्वा सहकृष्णो गजाह्वयम् ।
पितरं
सान्त्वयामास गान्धारीं च तपस्विनीम् ॥ ४८ ॥
पित्रा
चानुमतो राजा वासुदेवानुमोदितः ।
चकार
राज्यं धर्मेण पितृपैतामहं विभुः ॥ ४९ ॥
सूतजी
कहते हैं—इस प्रकार भीष्मपितामह ने मन, वाणी और दृष्टि की
वृत्तियोंसे आत्मस्वरूप भगवान् श्रीकृष्णमें अपने-आपको लीन कर दिया। उनके प्राण
वहीं विलीन हो गये और वे शान्त हो गये ॥ ४३ ॥ उन्हें अनन्त ब्रह्ममें लीन जानकर सब
लोग वैसे ही चुप हो गये, जैसे दिनके बीत जानेपर पक्षियोंका
कलरव शान्त हो जाता है ॥ ४४ ॥ उस समय देवता और मनुष्य नगारे बजाने लगे।
साधुस्वभावके राजा उनकी प्रशंसा करने लगे और आकाशसे पुष्पोंकी वर्षा होने लगी ॥ ४५
॥ शौनकजी ! युधिष्ठिरने उनके मृत शरीरकी अन्त्येष्टि क्रिया करायी और कुछ समयके
लिये वे शोकमग्न हो गये ॥ ४६ ॥ उस समय मुनियोंने बड़े आनन्दसे भगवान् श्रीकृष्णकी
उनके रहस्यमय नाम ले-लेकर स्तुति की। इसके पश्चात् अपने हृदयोंको श्रीकृष्णमय
बनाकर वे अपने-अपने आश्रमोंको लौट गये ॥ ४७ ॥ तदनन्तर भगवान् श्रीकृष्णके साथ
युधिष्ठिर हस्तिनापुर चले आये और उन्होंने वहाँ अपने चाचा धृतराष्ट्र और तपस्विनी
गान्धारीको ढाढस बँधाया ॥ ४८ ॥ फिर धृतराष्ट्रकी आज्ञा और भगवान् श्रीकृष्णकी
अनुमतिसे समर्थ राजा युधिष्ठिर अपने वंश परम्परागत साम्राज्यका धर्मपूर्वक शासन
करने लगे ॥ ४९ ॥
इति
श्रीमद्भागवते महापुराणे पारमहंस्यां संहितायां
प्रथमस्कन्धे
युधिष्ठिरराज्यप्रलम्भो नाम नवमोऽध्यायः ॥ ९ ॥
हरिः
ॐ तत्सत् श्रीकृष्णार्पणमस्तु ॥
शेष
आगामी पोस्ट में --
गीताप्रेस,गोरखपुर द्वारा प्रकाशित श्रीमद्भागवतमहापुराण (विशिष्ट संस्करण) पुस्तक कोड 1535 से

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