Tuesday, March 13, 2018

श्रीमद्भागवतमहापुराण द्वितीय स्कन्ध-दूसरा अध्याय..(पोस्ट०३)



॥ ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ॥

श्रीमद्भागवतमहापुराण
द्वितीय स्कन्ध-दूसरा अध्याय..(पोस्ट०३)

भगवान्‌के स्थूल और सूक्ष्म रूपोंकी धारणा
तथा क्रममुक्ति और सद्योमुक्तिका वर्णन

केचित् स्वदेहान्तर्हृदयावकाशे
    प्रादेशमात्रं पुरुषं वसन्तम् ।
चतुर्भुजं कञ्जरथाङ्गशङ्ख
    गदाधरं धारणया स्मरन्ति ॥ ८ ॥
प्रसन्नवक्त्रं नलिनायतेक्षणं
    कदंबकिञ्जल्कपिशङ्गवाससम् ।
लसन्महारत्‍नहिरण्मयाङ्गदं
    स्फुरन् महारत्‍नकिरीटकुण्डलम् ॥ ९ ॥
उन्निद्रहृत्पङ्कजकर्णिकालये
    योगेश्वरास्थापितपादपल्लवम् ।
श्रीलक्षणं कौस्तुभरत्‍नकन्धरं
    अम्लानलक्ष्म्या वनमालयाचितम् ॥ १० ॥
विभूषितं मेखलयाऽङ्गुलीयकैः
    महाधनैर्नूपुरकङ्कणादिभिः ।
स्निग्धामलाकुञ्चितनीलकुन्तलैः
    विरोचमानाननहासपेशलम् ॥ ११ ॥

कोई-कोई साधक अपने शरीरके भीतर हृदयाकाश में विराजमान भगवान्‌के प्रादेशमात्र स्वरूपकी धारणा करते हैं। वे ऐसा ध्यान करते हैं कि भगवान्‌की चार भुजाओंमें शङ्ख, चक्र, गदा और पद्म हैं ॥ ८ ॥ उनके मुखपर प्रसन्नता झलक रही है। कमलके समान विशाल और कोमल नेत्र हैं। कदम्बके पुष्पकी केसरके समान पीला वस्त्र धारण किये हुए हैं। भुजाओंमें श्रेष्ठ रत्नोंसे जड़े हुए सोनेके बाजूबंद शोभायमान हैं। सिरपर बड़ा ही सुन्दर मुकुट और कानोंमें कुण्डल हैं, जिनमें जड़े हुए बहुमूल्य रत्न जगमगा रहे हैं ॥ ९ ॥ उनके चरण-कमल योगेश्वरोंके खिले हुए हृदयकमलकी कॢणकापर विराजित हैं। उनके हृदयपर श्रीवत्सका चिह्नएक सुनहरी रेखा है। गलेमें कौस्तुभ- मणि लटक रही है। वक्ष:स्थल कभी न कुम्हलानेवाली वनमालासे घिरा हुआ है ॥ १० ॥ वे कमरमें करधनी, अँगुलियोंमें बहुमूल्य अँगूठी, चरणोंमें नूपुर और हाथोंमें कंगन आदि आभूषण धारण किये हुए हैं। उनके बालोंकी लटें बहुत चिकनी, निर्मल, घुँघराली और नीली हैं। उनका मुख-कमल मन्द-मन्द मुसकानसे खिल रहा है ॥ ११ ॥

शेष आगामी पोस्ट में --
गीताप्रेस,गोरखपुर द्वारा प्रकाशित श्रीमद्भागवतमहापुराण  (विशिष्टसंस्करण)  पुस्तककोड 1535 से



No comments:

Post a Comment

श्रीमद्भागवतमहापुराण द्वितीय स्कन्ध-सातवां अध्याय..(पोस्ट०९)

॥ ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ॥ श्रीमद्भागवतमहापुराण  द्वितीय स्कन्ध- सातवाँ अध्याय..(पोस्ट०९) भगवान्‌ के लीलावतारों की कथा भूमेः सुरेतरवरूथविमर्द...